Last modified on 12 फ़रवरी 2016, at 13:10

एक बड़ा शोषण / निदा नवाज़

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:10, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=बर्फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमें चुप्पी तोड़नी होगी
उन लोगों की
जो एक रेवड़ की भांति
हांक दिये जाते हैं
राजनीती से रंगी
साम्प्रदायिकता की लाठी से
समझोतों की चरागाहों की ओर
उन्हें दिये जाते हैं
धर्म नाम के ट्राकोलाज़र्स
लगातार, मुसलसल
और उतार दी जाती है
ऊन के साथ साथ
उनकी पूरी खाल भी
उनके मस्तिष्क पर
रोप दिये जाते हैं
अफ़ीम और चरस के पौधे
एक बड़ा षड्यंत्र
बचपन में ही
भर दी जाती है रेत
उनकी मुठ्ठियों में
अंध विश्वास की
और बांधी जाती हैं पट्टियां
उनकी आँखों पर
तर्कहीनता की
फिसल जाता है उनका पूरा जीवन
उनकी उंगलियों की दरारों से
मर जाते हैं उनकी आँखों के सपने
उनके शरीर में भर दिये जाते हैं
नफ़रत के रक्त बीज
और विस्फोट किया जाता है उनका
भरे बाज़ारों में
बड़े शहरों में
रिमोट कंट्रोल द्वारा
हमें चुप्पी तोड़नी होगी
और लाना होगा उन्हें वापस
इन साम्प्रदायिकता की
बारूदी चरागाहों से
यह चुप्पी अब पक चुकी है
समय की बट्ठी में
और पहुंच चुकी है
उस सीमा तक
जहाँ उत्पन्न होती है
चुप्पी से एक चीख़
एक पुकार
हमें बेनिकाब करना होगा
राजनीती और धर्म की आड़ में
रचा जाने वाला
यह आदमख़ोर शोषण.