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मध्यवर्गीय लोग / निदा नवाज़

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हम मध्यवर्गीय लोग
होते हैं
पतझड़ में खिलने वाले फूल
ठिठुरती सुगंध
और फीकी रंगत लिए

बसते हैं यथार्थ से अधिक
सपनों में हम
और टंके रहते हैं जीवन भर
सपनों की ही सूली पर

हमारी आशाएं फिसल जाती हैं
अधिकतर
दिल की सीढ़ियों से
बिखर जाती हैं ह्मीरे ही जीवन की तरह
और फूटते हैं उनमें
निराशा के अंकुर

हम मध्यवर्गीय लोग
बांटते हैं अपना व्यक्तित्व
हर क्षण
पुरानी परंपराओं और
आधुनिक उपलब्धियों के बीच

हम प्यार भी करते हैं
चोरी छुपे
किसी हत्या की तरह
और टूटती है सदैव
हमारे प्यार की पतवार
बीच भावना सागर के
बचा रहता है केवल एक बिम्ब
हमारी आँखों के दर्पण में
महरूमियों का

हम खुल कर कभी नहीं मुस्कुराते
हंसने की एक्टिंग करते हैं सदेव
औरों की देखा-देखि में

हर मनोवेज्ञानिक परीक्षा
हम पर ही की जाती है
हम पर ही आज़माए जाते हैं
आणविक
और विष भरे हथियार

हम खाली पेट और नंगे जिस्म भी
जश्न मनाते हैं
देश के एटमी शक्ति बनने पर

हम मध्यवर्गीय लोग
मध्य-रात्रि में जन्मे
वे बच्चे हैं
जो जीवन भर मापते हैं
अँधेरे का सफ़र
तलवों की लंबाइयों से

हम वे परकटे परिंदे हैं
जो सदैव
अपनी कल्पनाओं की
कायरता में
ढूंढते हैं आकाश.