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भौजी हार लै / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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झुमका लेल भौजी ठुनकै छै
भैया कुछ नैं बोलै छै।
मंदी सें छटनी भेॅ गेलै,
ई रहस्य नैं खोलै छै।

कहनें रहथिन ई होली में,
लेकेॅ अयबॅ झुमका।
साथे साथ पकैबै पूआ,
साथ लगैबै ठुमका।

भौजी तानाँ मारै हमरा,
झूट्ठा तोहरा भैइया।
दीवाली गेलै होली अयलै,
अब घोॅर अयथुन कैहिया?

फोन लगाय केॅ बात कराबॅ,
अबनैं माँगबै झुमका।
होली में मुँह बोली बनबै
साथ लगैबै ठुमका।

-मुक्त कथन, वर्ष-34, अंक-29, 07 मार्च, 2009