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बीकानेर-5 / सुधीर सक्सेना

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धूलि-धूसरित ताले जड़ी हवेलियों में
कैद है बीकानेर
शोर-शराबा नहीं
शांत आभा है बीकानेर
और बीकानेर से परंपरा

सुबह का जागा
अपने काम में मशगूल
सांझ ढले
पाटों पर निकल
बीकानेर से बतियाता है
बीकानेर