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कौनें ओझागुनी करी जाय छै / अमरेन्द्र

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कौनें ओझागुनी करी जाय छै
देश जयचन्द सें भरी जाय छै
गाछ केकरो कहीं लगाबै छी
सब बबूले में जाय फरी जाय छै
कुछ नै लागौं तोरा धरम लेकिन
लोग आनौं पेॅ एक मरी जाय छै
चारा केकरो रहेॅ कहूँ में रहेॅ
भैंसा आबीकेॅ सब चरी जाय छै
हेनोॅ रक्षक खड़ा छै मंदिर लेॅ
रामो रहि रहि बहुत डरी जाय छै
गाय रोॅ पूंछ के धरी तरलै?
कुरसी पकड़ी केॅ सब तरी जाय छै
एक अमरेन्द्रे के भरोसा छै
आरो तेॅ ऋतुवे रं टरी जाय छै

-28.7.91