भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोती दाँत / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:09, 6 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=तुक्त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अच्छा-अच्छा जे छौ पोथी
पढ़लेॅ जो मूँ-गरदन गोती
पगड़ी, रस्सी, चादर, ओढ़ना
हेनोॅ की? बस एक्के धोती
दाँत नीमी सें धोवैं छैं की
चमकै छौ जेहनोॅ कि मोती।