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कोकिला शतक / भाग ४ / विजेता मुद्गलपुरी
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चन्दा-चिट्ठा
हो-नै, हो-नै
ढिसुम!
अवसरवादी
मतलब साधै
हट्ट!
दल-दल, दलदल
देश कहाँ छै?
चुप्प!
अपनोॅ घर में
अपने डाका
भै!
राजनीति के
ई सराँध से
ओॅऽऽ!
पल्स पोलियो
एक बुन्द बस
टप्प!
माता आँचल
शिशु के ढाँकै
घुटुक!
जन्तर-मन्तर
जादू-टोना
धत्!
घोर उपेक्षा
बेटी-टेटी
हूँ!
परजीवी झा
बढ़का पेटू
वैऽऽ!
फागुन में ऊ
कजरी गावै
साऽऽ!
विद्यालय में
छुट्टी-छुट्टी
अहा!
सुबह सवेरे
महुआ महकल
मह!
घर आँगन में
गेंदा गमकल
गम!
साजन ऐतै
सुनो चौकलै
सच!
बम बम गावै
और बनावै
बम!
भंग व्यवस्था
महादेव के
भंग!
बे मतलब के
बक-बक-बक-बक
ओह!
सब दिन निन्दा
वोट घड़ी में
ठप्प!
सब कुछ जानै
घुरि-घुरि पूछे
कीऽऽ?