भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेघ बहुत छै कारोॅ-कारोॅ / धनन्जय मिश्र
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:50, 10 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनन्जय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेघ बहुत छै कारोॅ-कारोॅ
खलियानी केॅ जाय संवारोॅ।
कोय्यो दुखड़ा कुछ नै सुनथौं
आपनो दुख केॅ नांय उघारोॅ।
के जानै छै पुनरजन्म केॅ
मरला केॅ आरो नै मारोॅ।
इक दिन तेॅ सब जरिये जैथौं
कहै ‘धनंजय’ जी नै जारॉे।