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निरयासी देखौ उजियार / धनन्जय मिश्र
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निरयासी देखौ उजियार
खाली नै देखोॅ अंधियार।
आन्है छै सुख लौटी केॅ
दुख के आरो दू दिन चार।
सागर भी तेॅ लहरै छै
भले सहारा आरो थार।
देखियो एक दिन एक्के सब
भले अभी अपनै में मार।
कहै ‘धनंजय’ सब रोगोॅ केॅ
मीट्ठे बोली छै उपचार।