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गुलाबी रंगल हे ठोर / अंगिका
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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हरिहर सुगना रे सुगना गुलाबी रंगल हे ठोर।2
कौनी तो कारज रे सुगना सिरौनमा लागि रे ठाड़।
हरिहर सुगना रे सुगना गुलाबी रंगल हे ठोर।
तोहरो मुलकात हे माता सिरौनमा लागी हे ठाड़।
किए दुःख पड़लौ रे सुगना, अरे किए पड़लौ रे विपत।
कौनी तेॅ कारज रे सगुना, सिरौनमा लागि रे ठाड़
नहीं दुःख पड़लै सभाई माय-नहीं पड़लै हे विपत।
तोहरो मुलाकात हे मैया-सिरौनमा लागी हे ठाड़।