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बरखा / कनक लाल चौधरी ‘कणीक’

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मौसम विभागोॅ के बात जेन्होॅ जैसनोॅ, रेडियो औ टी.भी. पेॅ लोगें सुनै वैसनो
आबकी छै बरखा अपार, हाय दैय्या! अन्नोॅ के बढ़तै भण्डार

सुनी-सुनी खबरा किसान हँसै-गाबै
साविक अनजवा केॅ सस्थैं बोहाबै
शुरूव्है बरसाती में खेतवा जोताबै
रोहिनी नक्षत्रों में बिचड़ोॅ गिराबै
टिपिर-टिपिर पानी में भींगै-नहावै
मेघबा केॅ देखी-के हिया हुलसावै
अपनी किसनियाँ केॅ बांहें समाबै
घरोॅ सें खेतवा तक दौड़ोॅ लगाबै
गोबरा औ छौरबा सें खेतवा भरैलकै
साँसे ‘मिरगेसरा’ हरभौ चलैलकै

‘अदरा’ करलकै कचार, हाय दैय्या! मेघबां नैं दै छै लगार
बिचड़ा बिहनियाँ क तार जेटा बढ़लै
अैथैं ‘पुनरबस’ में झुलसेॅ हौ लागलै
मौसमोॅ विभागी के दीस सभ्भैं ताकै
तइयो विभागे ने डिङगे ठो हाँकै
”पुक्खोॅ“ के ढूकथैं किसान अनसैलें
भारी अकालोॅ के लच्छन देखैलै
सभ्भै ‘विभागोॅ’ केॅ दियेॅ लागलै गारी
मौसमोॅ के लोगें सुनाबै लाचारी
मौसमें बतैलकै अन्दाजें चलै छी
गुरूहै रिपोटबा पेॅ गिनती करै छी
प्रैमरी इस्कूलबा के गुरू सिनी फक्कड़
ओकर्है बूत्ता पेॅ छी लाल-बुझक्कड़

करेॅ लागलै सभ्भैं कचार, हाय दैय्या! मौसमोॅ केॅ नैं छै औजार
तिन-तिन करोड़ोॅ के मैहना गटासै
खाली फकैती दै, लोगबा हदासै
आकरा सें अच्छा तेॅ घाघै के बाणी
जौनें बतावै बरसाती के पानी
डाकोॅ के कहवॉे कत्तेॅ सटीक रहै
घाघोॅ औ भड्डरी के बतभौ भी नीक रहै
तखनी किसनमा केॅ वेहेॅ आधार छेलै
ओकर्है बतैलका पेॅ बेड़बा ठो पार भेलै
कुइयाँ-तलबबा ठो सभे सुखी गेलै
पानी पियै तक के किल्लत भेलै
कटियो नैं चुअै ओहार, हाय दैय्या! पानी के सगरो गुहार

‘पुखबा’ के कटथैं ‘असरेसबा’ जे अैलकै
अैथैं वें कटि-कटि असरा जगैलकै
अंगोॅ के धरती पेॅ मेघबा हुमड़लै
पछुऔती खेती लेली लोगभौं भी दौड़लै
कटि-कटि फुनसी के तार जबेॅ छुटलै
घरबा सें निकली किसान फेनू जुटलै
तिती-मिजी हरबा कोदार लै लै दौड़लै
मरला धानोॅ पर जे पनियां ठो पड़लै
पानी केॅ देखी बिचड़बा हलहलैलै
बिहनी केॅ रोपै लेॅ रोपिनिया जुटलै
गीतोॅ के उठलै बहार, हाय दैय्या, नदिहौ में आबी गेलै लार

जैथैं असरेसबा ठो ‘सिंहभा’ जे अैलै
किसना-किसनियाँ के मोॅन हुलसैलै
बिहुला-बिषहरी के पूजबा में लागलै
इन्दरोॅ किरपा सें मेघबा भी फाटलै
धमगज्जड़ दियेॅ लागलै मेघबा ने पानी
छुटेॅ लागलै खेतबा में बेङबा के तानी
बरखा के रतिया पपीहा जे बोलै
किसना-किसनियाँ के मनमा ठो डोलै
‘पुरबा’ के अैथैं पुरबेइहौ पहुंचलै
बादोॅ में ‘कानी’ आरो ‘हथिहौ’ धमकलै
होलै बरखा के निस्तार, हाय दैय्या! भरलै शीशवा सें पथार
आबकी छै बरखा अपार, हाय दैय्या अन्नोॅ के बढ़तै भण्डार