भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम-दीया, बाती सगरो जलैवै सजना / अश्विनी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:42, 26 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्विनी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatAngikaRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्रेम-दीया, बाती सगरो जलैवै सजना
दीया जलैवै हे सब्भै केॅ जगैवै हे
शांति के फूलोॅ सें
देशोॅ केॅ सजैवै हे
ई दीये नि बनतै अखंड सपना
हो अखंड सपना
प्रेम-दीया बाती सगरो जलवै सजना
कन्या सें सुनबै हे
कश्मीर सें कहबै हे
गंगा-यमुना में संग-संग नहैबै हे
माँटी रोॅ तिलक लगैबै सजना
हो लगैवै सजना
प्रेम-दीया बाती सगरोॅ जलैवै सजना