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प्रीत खिलै रे मना मनबगिया में / जयप्रकाश गुप्ता
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प्रीत खिलै रे मना मनबगिया में
जेना चाँदनी विहँसे चाँन-रतिया में
सपना-अँगना पिया के डेरा
बाट निहरौ रही-रही बेरा
कबेॅ ऐतै रे मना ई अटरिया में
पिया छै विदेश उमर लुटेरा
जेठे रं लागै सांझ-सबेरा
केना रहबै रे मना ई नगरिया में
चकवा-चकोरी हंस आरो हंसनी
देखी केॅ बाजै आसोॅ के पैजनी
आबेॅ रहबै केना ई सुरतिया में