भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रीत खिलै रे मना मनबगिया में / जयप्रकाश गुप्ता

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 26 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयप्रकाश गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रीत खिलै रे मना मनबगिया में
जेना चाँदनी विहँसे चाँन-रतिया में

सपना-अँगना पिया के डेरा
बाट निहरौ रही-रही बेरा
कबेॅ ऐतै रे मना ई अटरिया में

पिया छै विदेश उमर लुटेरा
जेठे रं लागै सांझ-सबेरा
केना रहबै रे मना ई नगरिया में

चकवा-चकोरी हंस आरो हंसनी
देखी केॅ बाजै आसोॅ के पैजनी
आबेॅ रहबै केना ई सुरतिया में