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पिया पावस पराय / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया पावस पराय।
जेना कपसली सगनौती कोय जाय
पिया पावस पराय।

जेनाकि खेत-बिना गेहूँ के, धानोॅ के
आरो पनिहारिन बिन कुइयाँ सिमानोॅ के
होन्हैकेॅ बदरी बिन सरंगो बुझाय
पिया पावस पराय।

आँखी के लोर ढरी गेलै सब बदरी के
किंछा-अकिंछा सब लै चललै उमरी के
गल्ला में चानी के हँसुली गढ़ाय
पिया पावस पराय।

कल से दुआरी पर झमझम नै बजतै
सरंगोॅ के आँखी में काजर नै सजतै
मोॅन करै राखी लौं छाती लगाय
पिया पावस पराय।

-30.9.95