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शरद करीकेॅ सिंगार / ऋतुरंग / अमरेन्द्र
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शरद करीकेॅ सिंगार।
ठाढ़ी छै आवीकेॅ आपनोॅ दूआर
करो सोलहौं सिंगार।
कानोॅ में चम्पा के झुमका झुलैलेॅ
नाकी में मालती के नथिया बिन्हैलेॅ
मुस्कै छै खोसी केॅ सोती सिन्दुआर
शरद करीकेॅ सिंगार।
पोखरी सें उजरोॅ कमल सबटा बिन्ही
बाजूबन्द ओकरै बनैलेॅ छै पिन्ही
केकरा लेॅ ठाढ़ी छै बान्ही केॅ प्यार
शरद करीकेॅ सिंगार।
गोड़ोॅ में भौंरा के बिछुआ छै बान्हलेॅ
मुँहोॅ में अड़हुल के बीड़ा छै दाबलेॅ
देखै दुआरी सें नद्दी-कछार
शरद करीकेॅ सिंगार।
धानोॅ के मँजरी के इत्तर की गमगम
आवै के पछियें सें पुरवा रङ खमखम
ताकै खन खेतोॅ दिश ताकै बहियार
शरद करीकेॅ सिंगार।
-17.10.95