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पिया फूलै पलास / ऋतुरंग / अमरेन्द्र
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पिया फूलै पलास।
गाछी के रग-रग सें फुटलै हुलास
पिया फूलै पलास।
कुरी-कुरी गोछयैलोॅ गाछी के ठारी पर
जेना सुहागिन के लाल पाड़ साड़ी पर
लागलोॅ छै ग्वालिन के गोकुल में रास
पिया फूलै पलास।
है तेॅ परासोॅ के जंगल ही दहकै
एक-एक गाछोॅ के ठार-ठार लहकै
आगिन लगैनें छै चैतोॅ के मास
पिया फूलै पलास।
है रङ धधाय केॅ जे उठलोॅ छै आगिन
केना केॅ बचतै वियोगी-वियोगिन
चिकरै छै पपीहो सब दैकेॅ अरदास
पिया फूलै पलास।