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शरत आरो सुरुज / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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आश्विन के सुरुज केॅ
गुस्सा छै तेॅ यही लेॅ
कि अपनोॅ तिक्खोॅ किरणोॅ के बादो
नै मुरझावेॅ सकै छै
शरत सुकुमारी के रूप
जेकरोॅ कानोॅ मेॅ झूलै छै
दुपहरिया के फूल
आरो गल्ला मेॅ
हरशृंगार के गजरा।

आश्विन के सुरुज केॅ
गुस्सा छै तेॅ यही लेॅ
कि ओकरोॅ तिक्खोॅ किरणोॅ के बादो
शरत सुकुमारी के आँखी मेॅ
डोलै छै श्वेत कमल
एत्तेॅ छै निर्मल
नद्दी के पानी
कि उपरे सेॅ दिखै छै हेलतेॅ मछली
जेना शरते सुकुमारी के आँख रहेॅ।

आश्विन के सुरुज केॅ
गुस्सा छै, तेॅ यही लेॅ कि
ओकरोॅ तिक्खों रौद्र के बादो
कारण्डव जमलोॅ होलोॅ छै
अभियो नद्दी किनारा मेॅ
शरत सुकुमारी के पीछू-पीछू