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स्वागत / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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हेमन्त ऐलै
तेॅ मुचकुन्द आरो प्रियंगुलता के गाछोॅ मेॅ
दू-चार गो कलियो फूटी गेलै
कैन्हें कि सरंग में दिखै ताला छै
त्रिशंकु
विश्वामित्र के नया लोक के नक्षत्रपति
त्रिशंकु।

हेमन्त एक स्मृति छेकै
अंगप्रदेश के
एक ऋषि के संकल्प के
शान्ति के
भले हेमन्त के आगमन सेॅ
कामिनी के काया डरेॅ
अंगदेश लेॅ तेॅ
हेमन्त ऋतु एक उत्सव छेकै।

हेमन्त ऐलोॅ छै तेॅ
नागकेसर मेॅ की रं सेॅ
फूलोॅ के उदय हुएॅ लागलोॅ छै।