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चार दिनन के जिनगानी में / दिनेश बाबा

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चार दिनन के जिनगानी में
तोंय छोॅ एक मेहमान प्यारे
कथिलेॅ एतना गुमान।
घट-घट वासी सियाराम छै
सबके कृपानिधान प्यारे
कथिलेॅ एतना गुमान।

2.

दम निकली जैला पर है तन
मिट्ठी में मिलिये जैथौं
जै पर एतना गरब करै छोॅ
काम नैं कुछ भी हौ ऐथौं
यही राह पर सब्भे जैथौं
की निर्धन-धनवान प्यारे
कथिलेॅ एतना गुमान।

3.

जिनगी भर बस जमा करी केॅ
रुक्खा-सुक्खा जे खाय छै
छूटी जाय छै प्राण जेॅ केकरो
सँग कहाँ कुछ भी जाय छै
पत्थर-पत्थर जोड़ी महल रोॅ
कथिलेॅ ई निर्माण प्यारे
मत कर एतना गुमान।

4.

चढ़तें-चढ़तें सूर्य गगन में
उच्च शिखर पर जैथैं छै
शक्ति भर आपनोॅ गर्मी सें
धरती केॅ झुलसैथैं छै
वहू सूर्य के होय्ये जाय छै
शाम तलक अवसान प्यारे
मत कर एतना गुमान।

5.

धर्म-विभेद भरम छै मन के
समझ नैं ई कोय पावै छै
यही लेली तेॅ वैर-भाव है
सबकेॅ नाच नचावै छै
एक ईश के सब छै बंदा
हिन्दू या मुसलमान प्यारे
कथिलेॅ एतना गुमान।