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बान्धबऽ खोपऽ / परमानंद ‘प्रेमी’

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माय गे दीदी साथें पहुना कन हम्हीं जैबऽ।
कांेची बाला नुंगा पिन्ही बान्धबऽ खोपऽ॥

दीदी के चमकै लाल नुंगा आरो पहुना के पीरऽ धोती।
हाथऽ में आमों के कंगन आरो चादर लगनौती॥
गंेठ जोड़ला पर लागै जेना पनसोखा छै उगलऽ।
माय गे दीदी साथ पहुना कन हम्हीं जैबऽ।

जखनी पहुना दीदी बैठतै पालकी में घुसकी क’।
जरियो-सा मौका देखतै त’ बोलतै दोनों फुसकि क’॥
बिचऽ-बिचऽ में छुतै पहुना हमरऽ खोपऽ।
माय गे दीदी साथें पहुना कन हम्हीं जैबऽ॥