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जागऽ जागऽ किसान / परमानंद ‘प्रेमी’

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देशऽ के जवान जागऽ जागऽ हो किसान अब’ होलै बिहान।
पुरुब दिसां लाल हिंगोर लाल भेलै आसमान॥
अमुवां के डारी-डारी कुहकै कोयलिया।
आगु-आगु गैया चलै पीछू सें धोरैया॥
उगथैं भुरुकबा चिड़ियाँ कर’ लागै गान जागऽ जागऽ किसान।
पुरुब दिसां लाल हिंगोर लाल भेलै आसमान॥
कमल फूल फूली गेलै होथैं भिनसरबा।
गुन-गुन-गुन कर’ लागलै मदमांछी भभरा॥
छौड़बा खेलैल’ चललै बुढ़बा खलिहान जागऽ जागऽ किसान।
पुरुब दिसां लाल हिंगोर लाल भेलै आसमान॥
हरबा, बैलबा आरो लैक’ कोदरिया।
होथैं भोर छोड़ि चलऽ सेज या॥
जलखै के बेरां गोरी आनिहऽ जलपान जागऽ जागऽ किसान।
पुरुब दिसां लाल हिंगोर लाल भेलै आसमान॥
हिली-मिली खेतबा सें सोना उपजाबऽ।
दुश्मन क’ देखी क’ बिगुल बजाबऽ॥
पूजऽ मांटी देशऽ के छेखौं भगवान जागऽ जागऽ किसान।
पुरुब दिसां लाल हिंगोर लाल भेलै आसमान॥