गुजुर-गुजुर ताकै छै किंछा गोदेला
कोण्टा मेँ ठाढ़ी के गोधुली बेला?
नै जानौं विधियो की सोचै, की चाहै
कथी लेॅ रेतोॅ के नद्दी के थाहै
ऋण दै के पैहिलें सूद चाहै, उगाहै
बटुआ मेँ बँधलोॅ छै एक्के अधेला।
बारी के नीमी पर कपसै पड़ोकी
घर-घर जाय लाक्षण के बिल्है विलोकी
जतरै पर कौनें दै हरदम्में टोकी
कीचड़ मेँ जाय फस्सै भागोॅ रोॅ ठेला।
सिंहोॅ के रौद आरो मछड़ी चुआँड़ी मेँ
दुबड़ी तांय जरलोॅ जाय खेतोॅ रोॅ खाँड़ी मेँ
नेठुवैलोॅ गेहुवन जाय बैठलै छै भाँडी मेँ
भागवाँ नै भागै छै मारल्हौ सेँ ढेला।