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ई जिनगी की जिनगी / अमरेन्द्र
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ई जिनगी की जिनगी
रौद बदरकटुओॅ
जेठोॅ रोॅ दुपहरिया दिन।
डीहोॅ रोॅ परती पर
कारी रँ चिड़ियाँ
मौनी सँ खेलै छै।
जिनगी रोॅ संझवाती
की भेलै कि ई
सार्है रँ लहकै छै।
गंगा कभियो-कभियो
बाकी तेॅ जीवन
कभी चीर कभी चानन।