भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जे पक्का मनुवादी वहेॅ मनुवाद-विरोधी / अमरेन्द्र

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:20, 8 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=कुइया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जे पक्का मनुवादी वहेॅ मनुवाद-विरोधी
आपनोॅ हित छै जहाँ-जहाँ तेॅ जात केॅ खोजै
सब जातोॅ मेँ आपने जात दिखावै सोझे
दिक्कत होला पर पूछै छै खोदी-खोदी
गरियावै वक्ती नै आपनोॅ जात केॅ जोड़ै
जाति-संघ रोॅ महासंघ जे रोज बुलावै
जेकरोॅ बल्लोॅ पर शासन पर आसन पावै
झुट्टे द्विजवादी पथलोॅ पर माथोॅ फोड़ै
आपनोॅ जातोॅ रोॅ सेना नै हुनका अखरै
कोय गोतिया सें मिलेॅ भोज में तेॅ आफत छै
ओकरे मुँह मेँ ऊ माटी के जमा परत छै
जे ब्राह्मणवासी भीती रोॅ माटी खोखरै
सब नाली रोॅ धार। यहाँ पर के गंगा छै?
धोती जरा उठाय केॅ देखौ सब नंगा छै।