भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दादी / अमरेन्द्र

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:39, 10 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=बुतरु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दादी अस्सी सालोॅ के
पकलोॅ-पकलोॅ बालोॅ के

अँगुरी-अँगुरी काठी रङ
देह-हाथ सनसनाठी रङ

चोरोॅ के छै बड़का डोॅर
छोड़ै नैं जल्दी छै घोॅर

बोली बोलै रुकी-रुकी
कोसो बूलै झुकी-झुकी