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मछली / अमरेन्द्र
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मछली रानी छल-मल-छल
जत्तेॅ उछलै, ओत्तेॅ जल
चोइयाँ चमचम पन्नी रं
चानी केरोॅ चैवन्नी रं
गजगज तारा झुक्कोॅ फूल
पीठीं-छाती चाट्ठोॅ शूल
तोहरोॅ वास्तें पोखरी जेहनोॅ
होने बोहोॅ खल-खल-खल ।
केना चलै छोॅ एत्तेॅ तेज
कहाँ सुतै छोॅ, कथी के सेज
जलो में गरमी लगै छौं की
पंखे रं डोलौं पुछड़ी
के सिखलैलकौं तैरै लेॅ ई
करवा आदत अदल-बदल ?