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गदहा / अमरेन्द्र
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ग सें गुल्ली ग सें गदहा
बैशाखी नन्दन ई लदहा
बोझोॅ केॅ बूझै वरदान,
घासे पर दै पहिलें ध्यान।
डांग पड़ै तेॅ लगे उड़क्का,
सीधे सरपट सोॅर सड़क्का।
परेशान छै पाँचो पाँचू,
हर वक्ती बस ढेचूँ-ढेचूँ।
बाबां ठिक्के कहिये गेलै,
गदहा गदहा रहिये गेलै।