बाजै छै बीन / भाग-8 / सान्त्वना साह
एण्टीना
एण्टीना पर बैठी चिड़िया
गावै छै मल्हार
तार तोड़ी रोज दिखावै
नाची चित्रहार
गोदी में बैठी केॅ सोमी
थपड़ी पारै चार
चार हथेली मिलै अगर जों
टी.बी. होय तैयार।
चार सहेली
एण्टीना के तार जोड़ी
टी.वी देखै पढ़वोॅ छोड़ी
चित्रहार आरो रंगोली
देखै मिली केॅ चार सहेली
किरकेट एन.सी.सी. रैली
आबेॅ बूझोॅ एक पहेली।
छतरी
एण्टीना केछतरी
सोन चिरैया उतरी
खोजी केॅ मकड़ी
बैठी गेलै छपरी
मोना पारै थपड़ी
दे गे मम्मी लकड़ी
हूरी देवै छपरी
छूटी जैतै मकड़ी।
चित्रहार
गोल-गोल छतरी
घुरलोॅ-घुरलोॅ तार
यहीं तेॅ देखावै छै
रोजे चित्रहार
चंदा मामा-सुरूज दादा
गल्ला केरोॅ हार
चिड़िया मैना बैठी केॅ
करै इन्तजार।
छपरी
छपरी तर बैठी केॅ
मीनू करै विचार
चंदन भैया कबेॅ होतै
शरबत के परचार
लाल-लाल मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ
पीवै घोंट चार
तबेॅ बैठी चाटतें रहवै
आमोॅ के अचार।
फूलझड़ी
टी.वी. पर ऐलै एक दिन
लाल फूलझड़ी
छम-छम-छम नाचै छै
घोड़ी चढ़ी
झर-झर-झर झरै छै
मोती लड़ी
हाँसै छै रुनझुन
खड़ी-खड़ी।
मोना
टी.बी. के चार कोना
गिनी केॅ हँसै मोना
चिन्नी आ साबूदाना
हाथोॅ में लेली सोना
अंगूर-अनारदाना
खिरनी छै भरी दोना
देखी केॅ जादू-टोना
बिट्टू के सुनी रोना
गावै छै एक गाना-
आवोॅ नाना, आवोॅ नाना।
चुन्नी चाची
चुन्नी चाची
जाय छै राँची
मानस केॅ बाँची
बोलै छै साँची
हाँची केॅ खाँची
जैती कराँची
घुरी केॅ ऐती
चुन्नी चाची।
ललकी दादी
ललकी दादी
रखी केॅ लाठी
बान्ही दै गाँती
जारी केॅ बाती
रोज-रोज राती
टहकै को राँटी
निंदिया बोलय दै
ललकी दादी।
बोरसी
थर-थर-थर-थर काँपै छी
कट-कट दाँत बजाय
झट-झट देह गरमावै छी
जरना केॅ उटकाय
बोरसी बैठी तापै छी
चद्दर लिपटाय
गाँती खोली सुतै छी
खटिया पर नुकाय।