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दुहूँ डारे / भवप्रीतानन्द ओझा
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मोहन जी केॅ हँसीया कि मोहन जी के बँसिया, (2)/दुहूँ डारे.........
गोपिनी गरें फँसिया, कि दुहूँ डारे ।। धुन ।।
नैना तिरिछिया कि कदम्ब बिरिछिया, (2)/दुहूँ मारे........
नारी हियराँ बरछिया कि दुहूँ मारे ।। धुन ।।
शामली सुरतिया कि कपट पिरितिया, (2)/दुहूँ नाशेॅ........
कामिनी कुल जतिया कि दुहूँ नाशे ।। धुन ।।
भवप्रीताक मतिया कि भवप्रीताक गतिया, (2)/दुहूँ करें........
युगल चरणें बसतिया कि दुहूँ करेॅ ।।