भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ हूँ जन्म से मैं / अर्चना कुमारी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 16 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
उन दिनों
जब घोषित किया जाता है
अस्पृश्य मुझे
एक अघोषित उल्लास
माँ को आश्वस्ति देता है
पूजती है माँ
पच्चीस दिन देव अपने
उन्हीं दिनों में
विमुख होता है देव मुझसे
वेदनाओं के उन सुस्त दिनों में
सृष्टि का संचरण
जाग्रत करता है देवत्व मुझमें
रक्तिम समय की चौथ में
प्रश्न कालजयी हो गये हैं
सब मौन हैं
पूर्वाग्रह युक्त उत्तर से
मेरी अस्पृश्यता
संरचनाओं का उत्स है
मैं माँ हूँ जन्म से
और ममता अस्पृश्य नहीं होती!!