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कुर्बानी का मतलब / शैलेन्द्र चौहान

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जेल के सींखचों से दिखाई दिया
उगता सूरज
कुछ पीला, कुछ लाल
खूबसूरत हर हाल में

मुक्त आकाश में
उगा सूरज
मुक्ति का आभास अहा!
रोमांच, उत्फुल्ल मन...

यह ठंडापन कैसा
उजास की तीव्रता पर व्याप्त
ताप की शिथिलता

इसे भी पता है शायद
कै़द हूँ मैं जेल में
कुसूरवार या बेकुसूर
यह तो तय करेगा निज़ाम

पर तिरस्कारपूर्ण निगाहों से...
क्यों देखता समाज
मित्र, संबंधी, परिचित
अजीब असमंजस में
भावनाओं की सीमाओं में
वेदना अपनी किससे कहूँ
सोचता हूँ-बेंजामिन मोलाइस को
उतार ही दिया मौत के घाट
जब गोरी बोथा सरकार ने तो
नहीं महसूस किया तनिक भी
स्वयं को लज्जित
हमारी काली सरकार ने

गोरी नस्ल के पुजारी-
सामंत, नेता, पुलिस
गोरों की भारतीय नस्ल
पैसों के लिए
कर सकती कुछ भी

रिज़र्व बैंक से आए दिन जन्मते
क़ागज़ी नोटों का प्रगाढ़ मोह
खरीद ले इनसे जो चाहे

इन्हें करने दो
कानून का उल्लंघन
कानून ही देगा इन्हें सज़ा
कानून ही सिद्ध करेगा इन्हें बेगुनाह
या कानून ही चढ़ा देगा इन्हें फाँसी
इनके निर्दोष होने पर भी

यही है इस मुल्क़ का कानून!

सूरज पश्चिम की ओर बढ़ रहा है
पेड़ों की छायाएँ लंबी हो रही हैं
फिर घुस रहा हूँ मैं अपने दड़बे में
कारागार... स्पदंन है यहाँ भी
गंदगी का साम्राज्य बाहर भी है
बजबजाती नालियों के किनारे
झोंपड़ियों में रहते हैं आखि़र
आदमी ही

अपराधी भी
बाहर छुट्टा घूमते ही हैं
आखिर निर्दोष बाहर भी
प्रताड़ित तो होते ही हैं

फिर कैसी परेशानी यहाँ?
सामंत यहाँ भी है सामंत
गरीब यहाँ भी हैं गरीब
अंतर स्पष्ट है
गरीबी-अमीरी का

फ़र्क़ बस इतना है
कि खुले आम
नहीं हो पा रहा व्यापार
इंसानी जिंसों का

शारीरिक यातनाएँ ही
दी जा सकती हैं उन्हें
या विशिष्ट सुविधाएँ
मिलने पर
संबंधी से रिश्वत

बेंजामिन मोलाइस!
तुम्हारी कुर्बानी
एक नस्ल की
दूसरी नस्ल के प्रति
घृणा का विरोध करती थी
जैसा कि कभी
हमारे देश में भी हुआ था

पर उसके बाद हमारे देश में
क्या हो रहा है
यह तुम्हें पता ही नहीं चला
अगर मैं जेल से छूटकर ज़िंदा बचा
तो तुम्हारे देशवासियों को
तुम्हारी कुर्बानी का मतलब
समझाने की कोशिश करूँगा

कहीं ऐसा न हो कि
तुम्हारे देश की जेलों में भी
निर्दोष लोगों को दंडित करने की
परंपरा कायम रहे और
आज़ाद दक्षिण अफ्रीका में
गोरे सामंतों की
काली नस्ल शासन करे।