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तोरोॅ साथ / आमोद कुमार मिश्र
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बस यहेॅ रं रहेॅ साथ तोरोॅ अगर
तेॅ उमर भर अमर ई जवानी रहेॅ
साल पर साल बीतै तेॅ की बात छै,
बस यहेॅ रं नजर, मूँ के पानी रहेॅ ।
साल बितलै कनां ई पहेली होलै
बस लगै छै कि कल के कहानी रहेॅ
जिन्दगी एक सपना सुहानोॅ रहेॅ
गुदगुदी सें सजैलोॅ पिहानी रहेॅ ।
लाज के घोंघटा छौं वहेॅ रं अभी,
रात पैहलोॅ मिलन के कहानी कहेॅ
तों वहेॅ रं लजैथैं रहोॅ सब दिना
तेॅ उमर तोरोॅ सबदिन सयानी रहेॅ ।