भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संजय बोललात / लक्ष्मण सिंह चौहान

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:17, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण सिंह चौहान |अनुवादक= }} {{KKCatAn...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संजय बोललात-
घिरलोॅ तेॅ आवै राजा पाण्डव के सेनमा हो
आँधियो तुफान शरमावै हो साँवलिया ।
एक ओर कारे-कारे बदरा हुमरै रामा
तड़का तड़कैक् भय लागै हो साँवलिया ।
तोहरोॅ निडर पूत उनमत जोधवा हो
सीना तानी घुमी-घुमी ताकै हो सँवलिया ।
लामी-लामी डेग हानै, सेनमा निरखै रामा
मोछबा पेॅ हाथ फेरी चलै हो साँवलिया ।