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सौलह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

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चैत हे सखी ऐली ऐंगनमा, तापेॅ तपाय मध भराय हे
आसन चवँर डोलै, पनमा बँटावै, नौमी एकलौत दस विदाय हे।

बैसाख हे सखी पीपर के पात डोलै, गुलमोहर के गाँव हे
मिलैलेॅ मोहना सेॅ, साँवरी, विरहिनी, ठाड़ी छै सीमर के छाँव हे।

जेठ हे सखी विंध्या मंदराचल, मेरू सुमेरू देवस्थान हे
उदयाचल अस्ताचल, नदी, मन्दाकिनी, गौरापति के गुणगान हे।

अषाढ़ हे सखी पनसोखा देखी देखी, फुटै छै मनो के गुमार हे
अबकी सउनमा जे, ऐतै पहुनमा, बोलबै नै लेबै झुमार हे।

सावन हे सखी बदरा सन कजरा, शोभै छै दोनों आँख हे
चंदा सन चम चम चमकै, लिलरा टिकुलिया, उड़ै छै मोॅन बिनु पाँख हे।

भादो हे सखी अष्टमी शुक्ला, चन्द्रवासर मध्याह्न हे
वृषभानु कीर्तिदा, आनन्द विवशा, राधा रासेश्वरी आन हे।

आसिन हे सखी शुक्ला इंजोरिया, भोला के खुली गेलै राज हे
खुललै पटोरवा सुनी केॅ बँसुलिया, रास रचावै महाराज हे।

कातिक हे सखी काली अंगारी, खंजर कटारी मुख लाली हे
डेग धरी धड़, महा कालेश्वर थीर जिभिया निकाली हे।

अगहन हे सखी हौंका हौंकै सूपेॅ, सन्दर लागै छै ओसान हे
लागै सोहान रामा, खेत खरिहनमा, बंगला दुअरिया बथान हे।

पूस हे सखी उठलै दरदिया, बैदा बोलाबै ननदोय हे
ले केॅ माहुर ठाड़ी, छोटकी ननदिया बूझै नै बतिया हमरो कोय हे।

माघ हे सखी बह्मस्वरूपा, आद्याशक्ति आभामयी
मंगलदायिनी, विद्या प्रदायिनी, पूजनीय माय सरस्वती।

फागुन हे सखी गालेॅ गुलाल खिलै, घँघरी पलासो के पात हे
सरसों के बूटी फूल, तीसी चुनरिया, हुलकी करैछै हुनी झात हे।