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हुकहुकी पर / नंदकिशोर शर्मा

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आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै
दिल्ली त छै हुकहुकी पर, रोग पटनियां लाइलाज छै।

रोज बंद हड़ताल भेल छै, शिक्षा तेॅ कंगाल भेल छै
रोड जाम नित नारेबाजी, गाँव शहर बेहाल भेल छै
जनता भौंकै छै कुतबा सन, हथिया पिन्हें घूमै ताज छै
आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै।

आम गाछ मंे गुल्लड़ फड़लै, चौक-चौक पर हुल्लड़ बढ़लै
उड़ै खटोला उपरे-उपरे, की जानै जीलै के मरलै
सधुआ गाय के आँख लोर छै, बानर बजवै सकल साज छै
आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै।

खाली वादा सुन्ना देवौ, चुप बुतरू झुनझुन्ना देवौ
तीन लाख चन्दा में दीहैं, जितबौ तेॅ हम दुन्ना देबौ
नम्बर एक मिट्टी में मिल्लै, दू नम्बर के काम काज छै
आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै।

मनमानी बलजोर के गरमी, चारोदिस हड़होर के गरमी
दुर्गा-संग महिखासुर नाचै, सगरे ताबड़तोर छै गरमी
दुर्योधन कुछ स्वथ्य दिखै छै, लोर कृष्ण के आँख आज छै
आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै।

ऐसन चिकरै रावण देखो, हर्टबीट देवता के बढ़लै
एक्के दिन के जरलै लंका देखो रोज अयोध्या जरलै
हनुमान के गदा हेरैलै, ईश्वर ही बस अब इलाज है
आय एकर कल ओकर राज छै, लटपट सौंसे राजकाज छै।