भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माँहटर / नंदकिशोर शर्मा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:45, 2 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा,
सात हाँथ चौतरफा फानै छै छौड़बा
सरकारी स्कूल में पढ़ै सीलेय् दूनी आठ,
केकरो नै बात आब मानै छै छौड़बा।

माँहटर के दोष तनी दोष सकल छौड़बा के
दोष छै लगामी के दोष तनि घोड़बा के
लड़की के फैशन जमाना के दोष तनी,
शिक्षा के कातिल प्रशासन छिछोड़वा के।
चश्मा हटाय देखो लौकै छै की-की हो,
ज्ञान के बगिच्चा की जानै छै छोड़बा।
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

क्लास रोज लेट-सेट आवै छै माँहटर,
पान आरु जर्दा चिबाबै छै माँहटर
लिक्खै छै सात एक बौलै छै सतरह,
कुर्सी पर हरदम औंघावै छै माँहटर
उकुस-पुकुस करलक जे सोटा सैं धूंनि देलक,
की कहिओॅ अ-आ नै जानै छै छौड़बा
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

छौड़बा के माँहटर सबेरे बोलावै छै,
गोर हाँथ तरबा ऊ धौना दबाबै छै
नै फिकिर तनियों छै करतै के पास-फेल,
महिना में मोटका ऊ तलब उठाबै छै
खैनी छै चुन्ना छै बातचीत दुन्ना छै,
हर घंटी चाय-पान आनै छै छौड़बा।
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

रोज एगो चेंगना संग महटरनी आबै छै,
रंग छंग के रोजे सूटर बनावै छै
लड़का छै उत्तर ऊ बैठल छै पूरब मुंह,
हरदम महटरबे संग फुस-फुस बतियावै छै
हल्ला छै घण्टी भर खाली सीलेट परल,
झुट्ठे सें बस मुण्डी हानै छै छोड़बा
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

मुरखहवा माय-बाप रात दिन सोचै छै,
छौड़बा नै पढ़ै छै रात दिन कोचै छै
हरदम सिनेमा या गप टी.वी. सिरीयल के,
पैसा लेॅ मैया कै हरदम ई नोचै छै
माँहटर पढ़ैलक जे रस्ते में रैह गेल,
अपनो किताब नै पहचानै छै छौड़बा
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

पढ़ै न लिक्खै छै लेटै छै छौड़बा,
बोल्ला पर हथ्था समेटै छै छौड़बा
जे माँहटर कहलक की पाठ याद करिहैं,
ओकरा तैं साँझै रपेटै छै छौड़बा
केकरो नैं दोष भाय सातिर जमाना छै,
डूबै लै कुइयाँ ई खांनै छै छौड़बा।
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।

फैशन पढ़ाई-पढ़ाई भेल फैशन हो,
देखो ई लड़की के बाल कटल कैसन हो
झड़कल सन बोलचाल हरदम अगिआयल रहै
अबकी अनुशासन मंे हासिल बस टेंसन हो
हवे में मिल्लल छै चौपट अन्हरिया हो,
कथ्थि लेॅ गुरुजी कै बान्है छै छौड़बा।
माँहटर कै देख-देख कानै छै छौड़बा।