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चटिया / पतझड़ / श्रीउमेश
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इसकूली सें भागी क बिलटा डज्ञरी पर ऐलोॅ छै।
उकडू़ मुकडू़ बैठी केॅ पत्ता तर जाय नुकैलोॅ छै॥
चटिया सब ऐलै खोजै लै, कथीलेॅ ओकर पैतोॅ भान।
घरी फिरीक चटिया गेलोॅ, विलटा भागलोॅ लेॅ केॅ जान॥
बिलटा आब कहाँ नुकैतोॅ? हम्में भेलाँ पत्र विहीन।
बसलोॅ घोॅर उजड़लोॅ हमरोॅ, सब सुख भेलोॅ आज बिलीन॥