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बेटी के बिदाय / पतझड़ / श्रीउमेश
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आह भरी आबैछेॅ जखनी याद पुरानोॅ आबै छै।
पिछला दिन के मधुर कहानी कौनें आज सुनाबै छै॥
बेटी के छै आज बिदाई कत्तेॅ माया लानै छै॥
माय-बाप के नाता टुटलै, हुकरी-हुकरी कानै छै॥
उन्नेॅ महिला मंडल सें समदन के उठलै गीत प्रगाढ़।
इन्नेॅ छाती फाटै छै करुना के उमड़ी गेलै बाढ़॥
एकरो डोली हमरै छाया तर आबी केॅ रुकलोॅ छै।
यै करुना के प्रबल बेग में हमरो डाली झुकलोॅ छै॥
लेकिन यै पतझड़ में नैं डोली नैं बोॅर बराती छै।
जेकरा से हुकरी-हुकरी केॅ फाटै हमरोॅ छाती छै॥