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खाना बदोस / पतझड़ / श्रीउमेश

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गाय-भैंस बत्तक-मुर्गा, कतेॅ चिड़ियाँ-मुनियाँ लेलें।
ऐलोॅ छै खाना बदोस खंजड़ आपनोॅ दुनियाँ लेलें॥
डारै छेलै गाछी तर डेरा सिरकी तानी-तानी।
गामोॅ के लोगोॅ के बढ़लोॅ छै एकरा सें हैरानी॥
भिखमंगी-चोरी-डाका, एकरोॅ छेकै जीवन आधार।
नटवाजी बाँसोॅ-रस्सो पर दुधोॅ-अडा के व्यापार॥
करै छिलै भनसा गाछी तर, ईंटा के चुल्होॅ जोड़ी।
हमरे सुखलोॅ लकड़ी जारन लानै छै तोड़ी-तोड़ी॥?
लटकै छेलै कत्तेॅ हँड़िया हमरा निचला डारी में।
फानुस जेना झुलतेॅ होतै साही मुगल अटारी में॥
बेटी छै खाना बदोस के सुखनी भरी जवानी में।
कसलोॅ देह उभरलोॅ छाती, छै खिचाव करदानी में॥
गामोॅ के मन चला यार ओकरा पीछॅ दीवानी छै।
लेकिन सुखनी छँटली छेॅ माया में मात्र भुताना छै॥
लाल चोली चमकै छै ओकर गोरा काया पर।
कत्तेॅ नोंक झोंक देखैछी, हम्में अपना छाया तर॥
लेकिन यै पतझड़ में हमरा के पूछै छ एक्को बेर।
जसन मनाबै छेॅ उमराव दुखिया कॅ कौढ़ी के फर॥