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कनकठिया / पतझड़ / श्रीउमेश
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मुरदा के अर्थी ऐलोॅ छै, देखोॅ यहीं उतरलोॅ छै।
कनकठिया बोलै छै, ”देखोॅ जे मरलोॅ, से तरलोॅ छै॥“
एकंे कहलक, ”बेटा-बेटी सब छै स्वारथ के साथी।“
दाँत गड़ाबै छै सभ्भैं, अरजन करलेॅ छै जे थाथी॥
”हंसा गेलै सरङ उड़ी केॅ, खाली पिंजड़ा धरलोॅ छै।
हाय-हाय जोते मरै छै, छै सान्त अरे जे मरलोॅ छै॥“
‘सब के गत छै यहेॅ एक दिन, झूठा छै दुनियाँदारी।
खैनी खा, लेॅ, चलोॅ उठाबोॅ मुरदा छै बड्डी भारी॥“
यै पतझड़ में मुरदी तक नैं इन्न’ आवै छै भैया।
केकरा कहियै आपनों दुख, के होतै हमरोॅ सुनबैया॥