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पुल और नदी / राजकिशोर राजन

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पुल पार करते
उस नदी को देखा मैंने
एक भूली-बिसरी बरसाती नदी
दो-चार महीना, टलमल-टलमल, जल से
फिर छूँछ की छूँछ

कितनी बेरौनक लगती है नदियाँ
जब उनमें नहीं होता जल

उदास, उस पुल से पूछे कोई।