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बसंत / श्रीनाथ सिंह

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बसन्त आया, बसन्त आया,
बन बागों की महकी काया।
लाल लाल पत्तियां निराली,
निकल लगीं फैलाने लाली।
देखो जहाँ फूल ही छाये,
टेसू खिले आम बौराये।
जामुन नीम आदि सब फूले,
सब पर भौंरे झपटे झूले।
सरसों फूली पीली पीली,
अलसी फूली नीली नीली।
उड़ने तितली लगी रंगीली,
खेतों की है छटा छबीली।
मधु मक्खियाँ लगीं मंडराने,
फूलों से फूलों पर जाने।
कू कू बोली कोयल काली,
सचमुच है बसन्त बनमाली।