Last modified on 5 जुलाई 2016, at 04:43

प्रजातन्त्र / हरीशचन्द्र पाण्डे

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:43, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीशचन्द्र पाण्डे |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शीशे का एक जार टूटा है

एक हाथ छूटा है कोमलतम गाल पर अभी
चंचलता का काँचपन टूटा है

घर तो एक प्रजातन्त्र का नाम था

बार-बार कहा गया था कि
जनता राज्य में ऐसे विचरे
जैसे पिता के घर में पुत्र

प्रजातन्त्र टूटा
एक मिथक की तरह...