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बुढ़ापे के लिए नहीं / हरीशचन्द्र पाण्डे
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गाय अपने बछड़े को चाट रही है
रह-रहकर चाट डाला है उसने पूरा बदन
कान के भीतर जाती सुरंग को भी दूर तक
कुछ जमा है वहाँ अवांछित
एक चिड़िया भी रह-रहकर चोंच छुआ रही है वहीं
थनों की तरफ़ हुमक रहा है बछड़ा बार-बार
पर मुँह में जाली बँधी है
मालिक कूटनीति के तहत जाली लगावाये है मर्द बच्चे के मुँह पर
चिड़िया भी अपने स्वार्थ के लिए चोंच मार रही है
पर गाय के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता
गाय अपने बुढ़ापे के लिए भी नहीं चाट रही है।