भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देश भक्ति की घणी निराली / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:28, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणवीर सिंह दहिया |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1857 की क्रान्ति में कानपुर के योगदान की जब चर्चा होगी तो सबसे पहले नाना राव पेशवा, तात्या टोपे, और अजी मुल्ला का नाम आयेगा लेकिन नाच गाकर अंग्रेजी अफसंरो का मन बहलाने वाली तवायफ अजीजन बाई और उसकी मस्ताना टोली की सदस्य हुसैनी खानम के योगदान और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। अजीजन को हुस्न का जादू और घुंघरूओं की खनक अंग्रेज पर वह असर डालती थी जिससे शराब के नशे में मदहोश होकर अंग्रेज कई महत्वपूर्ण राज अजीजन के सामने ब्यान कर देते थे जो वह क्रान्तिकारियों को पहुंचाकर उनके आन्दोलन को मजबूत बना रही थी। बाद में अंग्रेजों ने इन्हें माफी मांगने तथा उनके सामने जमीन पर नाक रगड़ कर रहम की प्रार्थना करने को कहा। आजादी की इन सिपाहियों ने यह तो कबूल किया कि उन्होंने अंग्रेजों के खून से होली खेली है लेकिन देश का माथा ऊंचा रखते हुए माफी माँगने और रहम की भीख मांगने से इन्कार कर दिया।

देश भक्ति की घणी निराली या मिशाल अजीजन बाई॥
फिरंगी के किले मैं नाच गाने के दम पै सेंध लगाई॥
कानपुर में तवायफ का वा जीवन बिताया करती
नाचना गाना कमाल का था अंग्रेजों नै रिझाया करती
नशे मैं धुत करने के वास्ते दारू खूब पिलाया करती
भीतर की सारी सी आई डी बागियों नै पहुंचाया करती
अजीजन के साथी हैरान तवायफ औरत गजब बताई॥
अंग्रेजां के छबके मारै अजीजन तरफ लखाले नै
चापलूसी छोड़ फिरंगी की देशप्रेम का झण्डा ठाले नै
तो जमींदार इलाके का ईब उल्टे कदम हटाले नै
देश प्रेम की बहार चली सुर गेल्यां सुर मिलाले नै
देख अजीजन की दलेरी तनै चाहिये बदलनी राही॥
कानपुर दिया छोड़ फिरंगी चारों तरफ लखाया
महिला बच्चों को उननै बीवी घर में पहोंचाया
अजीजन बाई ने घेरा दे उनका खात्मा चाहया
बागी फौजी तो नाट गये बाई नै गुस्सा आया
अजीजन बाई ने तुरत फेर बुलाये च्यार कसाई॥
इस जनम के करमां का फल इसे जनम मैं थ्याया
तवायफां नै डेढ़ सौ मारे फौज का पूरा साथ निभाया
फिरंगी का साथ नहीं देउं न्यों नसीब नै मन बनाया
जन विद्रोह देख फिरंगी रणबीर सिंह घणा घबराया
कई किताब पढ़कै नै रागनी अजीजन की बनाई॥