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सेना मैं कैसे आउं झलकारी / रणवीर सिंह दहिया

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झांसी की रानी ने औरतों की सेना बना ली है यह झंासी के आस पास के इलाकों में सबको मालुम पड़ गया था। तीर तलवार चलाने की ट्रेनिंग देकर अच्छी खासी जनानी फौज खड़ी कर ली है। बहुत औरते डरपोक थी। पत्ते खड़कें और शाखे सायं सायं करे तो आपस में लिपट जाती थी। अंधेरी में चलती, गिरकर घुटने फोड़ लेती। मगर महौल बदला था और यही डरपोक औरतंे छोर अछोर रास्तों पर कहीं भी पहुंच जाती थी। ऐसी ही एक डरपोक औरत से जब झलकारी बाई फौज में शामिल होने की बात करती हैं तो वह क्या कहती है भलाः

सेना मैं कैसे आउं झलकारी, घरक्यां का मनै डर सै॥
जिब जिकर चलाउं मैं, ना कोए उत्तर पाउं मैं
मन मोस कै रह जाउ मैं, मेरे पै ना कोए उत्तर सै॥
फिरंगी मारैं कसूते बोल, जावै मेरा कालजा छोल
चमचों का बढग्या टोल, गैल फिरंगी मिस्टर सै॥
सारा गाम उनतै डरै सै, शरीफ उनका पाणी भरै सै
नहीं बात मेरे जरैै सै, बस जानै मेरा भीतर सै॥
उपर नीचे नहीं सुणाई, यो फिरंगी शह देवै बाई
रणबीर करै कविताई, जानै उनका चिल्लत्त्तर सै॥