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मतना मनै भुलाइये / रणवीर सिंह दहिया

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जब लक्ष्मी बाई अंग्रजों से लोहा लेने का मन बना चुकी थी तो सेना खड़ी करने की तैयारी में जुट गई थी। झलकारी बाई का पति पूरन भी उसकी सेना का महत्व पूर्ण व भरोसे मंद सेनापति था। पूरन दिन रात एक करके मेहनत के साथ भेदियों से अपनी गति विधियों को बचा कर करते हुए, लगातार लोगों को जंग के लियंे तैयार कर रहे थे। इसी प्रकार एक सिपाही जब भर्ती होकर सेना में जाने लगता है तो उसकी संगिनी परेशान हो जाती है यह सोचकर कि उसका पति परदेश फौज में जा रहा है। क्या कहती है भलाः अपने पति से-

मतना मनै भुलाइये, हाथ जोड़ कहै तेरी ब्याही॥
म्हारा मुश्किल ईब जीणा होग्या
यो घूंट सबर का पीणा होग्या
अपना लाकै जी दिखाइये, ना तो होज्या म्हारी तबाही॥
कुछ उल्गा सांस होवै म्हारा
सुख तै होज्या फेर गूजारा
जंग मैं जोर लगाईये, होज्या रानी की मनचाही॥
माता पिता और लड़की तीन
फिरंगी समझै हमको दीन
अंग्रेजां नै धमकाइये, नहीं आसान उनकी राही॥
परदेश मैं जो याद सतावै
एक तरकीब फूल बतावै
तूं सपने मैं आ जाइये, रणबीर ना करै मनाही॥