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मनै सारी खोल बताइये री / रणवीर सिंह दहिया

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अकाल पड़ रहे थे। फिरंगी सरकार ने किसानों के लगान बढ़ा दिये थे। किसान लगान देने की हालत में नहीं थे। उनसे जबरन लगान वसूला जाने लगा था। उन पर अत्याचार किये जाने लगे। किसानों के एजैंट जमींदार और कई अफसर किसानों को पकड़ ले जाते थे और उनकी पिटाई करते थे। एक बार झलकारी बाई एक परिवार को इस तरह के अत्याचार से बचवाती है। उस किसान की पत्नी झलकारी बाई से बहुत प्रभावित होती है। वह एक मुलाकात में झलकारी बाई से विस्तार से किसान की हालत पर चर्चा करती है। क्या कहती है भलाः

मनै सारी खोल बताइये री, म्हारी मेहनत कित जावै॥
किसनै अन्न धन लूट्या म्हारा
नहीं चालै उसपे कोए चारा
असली बात समझाइये री, हमनै कूण लूट कै खावै।
खेती करना आसान नहीं सै
लगान का उनमान नही सै
तू करकै तोड़ बताइये री, आड़ै गुलछर्रे कूण उड़ावै॥
किसानी घणी या डरी हुई सै
दुख कसूते मैं भरी हुई सै
तूं इसका धीर बंधाइये री, फिरंगी पै लूट पिट कै आवै॥
और गुलामी किसनै कहते
उमर बीतगी दुख ये सहते
रणबीर के धोरै जाइये री, नहीं सूकी कलम घिसावै॥