यह वही दौर था जब अंग्रेज भारत के अलग-अलग हिस्सों से नौजवानों को फौज में भर्ती करके बंगाल आर्मी को ज्यादा ताकतवर बना रहे थे। उस वक्त अंग्रजों को अपनी ताकत बढ़ाने का और बचाने के लिए बंगाल आर्मी पर निर्भर रहना पड़ा। इसी प्रकार राजे रजवाड़ों को अपने कब्जे में लेकर बहुत से लोगों को राज दरबार की नौकरी से हटा देते थे और अपने चाटु कार और वफादार लोगों को नौकरी पर रख लेते थे। लहकारी बाई झलकारी बाई की बचपन की दोस्त थी। उसका घरवाला झांसी पर कब्जा अंग्रेजों द्वारा किये जाने से पहले वहां नौकरी करता था। मगर फिरंगी का राज झांसी आने के बाद उसे वहां से हटा दिया जाता है। परिवार संकट के दौरान पहले ही गुजर रहा था। नौकरी हटने के बाद परिवार का संकट और भी बढ़ जाता है। लहकारी बाई झलकारी बाई से मिलती है तो क्या कहती है भलाः
आहे बाई एक बात बताउं, यो दिल अपणा खोल दिखाउं
फिरंगी नै कर दिया चाला हे मनै तेरी सूं॥
मां बापां नै करी सगाई, बेबे ना मैं फूली समाई
मन मैं हुया था उजाला हे मनै तेरी सूं॥
ब्याह की तारीख धरी थी, रस्म कुछ पूरी करी थी
मैं जपूं थी उसकी माला हे मनै तेरी सूं॥
फिरंगी का हुक्म आया, नौकरी तै गया हटाया
कर दिया गुड़ का राला, हे मनै तेरी सूं॥
टोहना चाहा कुआं झेरा, झलकारी नै भेज्या बेरा
हटाया दुख का घाहला हे मनै तेरी सूं॥
सुना की उनै बात बताई, उनै नई आस बंधाई
दिखाया सघर्ष का पाला हे मनै तेरी सूं
घर म्हारा बचा दिया हे, ब्याह म्हारा करा दिया हे
खोल दिया भ्रम का ताला हे मनै तेरी सूं॥
म्हारे साथ मैं सै रणबीर, खीचैं विद्रोह की तसबीर
तार दिया आंख का जाला हे मनै तेरी सूं॥