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देह में भागवत विचार / शब्द प्रकाश / धरनीदास

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मथुरा मानुष देह, क्रोध कंसासुरजानो। यमुना जियकी दया, त्रिगुण वृन्दावन मानो।
गोपी पाँच पचीस, पवन है हलधर भाई। जोति सरूपी कृष्ण, कोलाहल करत सदाई॥
यशोदा नन्द अनन्द उर, ज्ञान गोवर्द्धन धरिया।
धरनी अंग-प्रसंग करि, श्री भागवत विचारिया॥12॥